मशहूर फिल्ममेकर रोहित शेट्टी ( rohit shetty ) इन दिनों अभिनेता अक्षय कुमार ( akshay kumar ) के साथ अपकमिंग फिल्म 'सूर्यवंशी' ( sooryavanshi ) को लेकर चर्चा बटोर रहे हैं। 'गोलमाल ( golmaal ) सीरीज', 'सिंघम' ( singham ) सीरीज में धमाल मचा चुके रोहित हॉलीवुड फिल्म 'बैड बॉयज फॉर लाइफ' ( bad boys for life ) का प्रमोशन भी कर रहे हैं। हाल ही एक इंटरव्यू के दौरान रोहित ने हॅालीवुड इंडस्ट्री को लेकर खुलकर अपने विचार रखे।
हॅालीवुड हमारे एक्टर्स संग जुड़ रहा है
बॉलिवुड स्टार्स हॉलीवुड फिल्मों से जुड़ रहे हैं, इसकी वजह बताते हुए रोहित कहते हैं कि बॉलिवुड का हॉलिवुड फिल्मों से जुड़ना आज से नहीं है, कई सालों से हैं। अभी क्या हो गया है कि दुनिया छोटी होती जा रही है, तो यह बढ़ गया है, वरना पहले भी लोग काम किया करते थे। अब हमारा बिजनस बड़ा हो रहा है। हमारे स्टार्स हॉलीवुड में जाकर बहुत ज्यादा काम कर रहे हैं। बहुत सारे एक्टर्स वहां वेब-सीरीज भी कर रहे हैं और फिल्में भी कर रहे हैं। यही वजह है कि हमारा मार्केट बड़ा होता जा रहा है। आप हॉलिवुड के पॉइंट ऑफ व्यू से देखें, तो हम नहीं जुड़ रहे हैं, वे हमारे साथ जुड़ रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि हॅालीवुड का प्रचार करने से बॅालीवुड फिल्में नहीं चलेंगी
'बैड बॉयज फॉर लाइफ' फिल्म का प्रचार करने की बात पर रेहित बताते हैं कि उसमें कोई गलत बात नहीं है। ऐसा नहीं है कि उनका प्रचार करने से हिंदी फिल्में नहीं चलेंगी। अगर हिंदी फिल्म अच्छी है, तो वह जरूर चलेगी। आप ‘तान्हाजी’ को ही देख लीजिए, तानाजी 10 जनवरी को रिलीज हुई, इस डेट पर बहुत कम लोग फिल्में रिलीज करना चाहते हैं और वह इस डेट पर भी 200 करोड़ से ज्यादा का बिजनस कर चुकी है। अभी 2 और फिल्में आई हैं, 'स्ट्रीट डांसर' और 'पंगा', वे भी चल रही हैं, तो ऐसा होता नहीं है। जो अच्छी फिल्में हैं, वे चलती ही चलती हैं। उसे कोई नहीं रोक सकता। वह चाहे हॉलिवुड हो, बॉलिवुड हो या किसी और भाषा की फिल्म हो, यह सिर्फ कहने की बात है।
ऑडियंस की खुशी मायने रखती है
रोहित आगे कहते हैं कि बिजनेस के बारे में मुझसे बेहतर कौन जानता होगा? लोग बात करते हैं, पर हम तो यह बिजनेस कर रहे हैं, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। जैसे, मैंने पहले भी कहा कि हमारे यहां सालाना 200 फिल्में बनती हैं और जब साल खत्म होता है, तो आप उंगलियों पर गिन सकते हैं कि कितनी फिल्में हिट रहीं, वे 20 से 25 ही होती हैं, तो जिस दिन हम अपना स्टैंडर्ड बढ़ा देंगे, हम बेहतर फिल्में बनाएंगे, तब इस चीज का डर नहीं रहेगा। वैसे अभी भी नहीं है। मेरा तो यह भी मानना है कि हम सिर्फ बिजनेस का क्यों सोचें? हम अपनी ऑडियंस का भी तो सोचें, अगर हमारे बच्चों को अवेंजर्स देखकर खुशी मिलती है, बैड बॉयज देखकर खुशी मिलती है, तो क्या बुराई है।
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