बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर की गिनती उन चुनिंदा कलाकारों में होती है, जिन्होंने इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। उनका यह सफर इतना आसान नहीं रहा। शुरुआत में उनको विफलता और अस्विकार्यता का सामना करना पड़ा था। हाल ही उन्होंने टिक टॉक पर एक वीडियो में अपने संघर्ष के दिनों को याद किया। बता दें कि वे अब तक लगभग 500 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके हैं। कई रिपोर्ट्स में दावा किया जाता है कि उनकी पहली फिल्म 1982 में रिलीज हुई 'आगमन' थी। हालांकि अनुपम खेर ने खुद एक इंटरव्यू में कहा था कि उनकी पहली वर्ष 1984 में आई 'सारांश' थी।
28 की उम्र में किया 65 साल के बुजुर्ग का किरदार
फिल्म सारांश के समय अनुपम खेर की उम्र 28 वर्ष थी और उन्होंने मूवी में 65 साल के व्यक्ति का किरदार निभाया था। इसकी कहानी बुजुर्ग दंपत्ति और विदेश में रह रहे उसके बेटे पर आधारित थी। विदेश में बेटे की मौत हो जाती है लेकिन बुजुर्ग बाप को उसकी अस्थियां प्राप्त करने के लिए सरकारी प्रक्रियाओं से संघर्ष करना पड़ता है। इसके अलावा उन्होंने कई अन्य फिल्मों में भी बुजुर्ग व्यक्ति के किरदार निभाएं हैं।
सोशल मीडिया पर एक्टिव
अनुपम सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा एक्टिव रहने वाले कलाकारों में से हैं। ट्विटर और इंस्टाग्राम पर वे काफी एक्टिव रहते हैं। लगभग हर मुद्दे पर वे अपने विचार रखते हैं। ट्विटर पर कई बार वे शायराना अंदाज में नजर आते हैं। इंस्टाग्राम पर भी वे अपनी तस्वीरें और वीडियो पोस्ट करते रहते हैं।
टिक टॉक पर भी किया डेब्यू
अभिनेता ने हाल ही टिक टॉक पर भी डेब्यू कर लिया है। कुछ ही दिनो में इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनके 2.2 मिलियन फॉलोअर्स हो चुके हैं और लाइक्स 6.7 मिलयन। उन्होंने अभी तक 10 वीडियो पोस्ट किए हैं।
संघर्ष के दिनों को याद किया
एक्टर ने हाल ही टिक टॉक पर एक वीडियो पोस्ट किया था। जिसमें उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों को याद किया। वीडियो पोस्ट करते हुए उन्होंने बताया कि दोस्तों बहुत साल पहले जब मैं मुंबई की सड़कों पर काम ढूंढ रहा था और मुझे काम नहीं मिल रहा था तो मैं बहुत हताश और मायूस हो जाता था। ऐसे में मैं अपने दादाजी को खत लिखकर सभी बातें शेयर करता था।
दादाजी को बताई दिल की बात
अनुपम खेर अपने दिल का हाल दादाजी को बताते थे। वीडियो में उन्होंने बताया—एक बार काफी निराश होकर मैंने मुंबई छोड़ वापस घर जाने की सोची। यह बात भी मैंने दादाजी को खत लिखकर बताई। जवाब में दादाजी ने जो लिखा, उसमें एक लाइन थी जो मेरे लिए बहुत महत्तवपूर्ण थी और आज भी है। उन्होंने लिखा कि बेटा तुमने बहुत मेहनत की है, रूक जा क्योंकि भीगा हुआ आदमी बारिश से नहीं डरता। दादाजी की उस लाइन ने मेरा जीवन बदल दिया और सफलता का रास्ता दिखाया। आज भी मैं उस लाइन को याद रखता हूं।
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