-दिनेश ठाकुर
हिन्दी सिनेमा की सबसे कामयाब लेखक-जोड़ी सलीम-जावेद की खूबी यह थी कि वे जितने सलीके से विदेशी फिल्मों का भारतीयकरण करते थे (जंजीर, यादों की बारात, शोले), उतनी ही सफाई से पुरानी हिन्दी फिल्मों को नया जामा पहना देते थे। 'राम और श्याम' को उन्होंने 'सीता और गीता' बना दिया। 'दीवार' के लिए उन्होंने दिलीप कुमार की 'गंगा-जमुना' और नर्गिस की 'मदर इंडिया' से प्रेरणा ली। 'गंगा-जमुना' की तरह मुजरिम और पुलिस अफसर भाइयों का टकराव। 'मदर इंडिया' में जिस तरह नर्गिस अपने पुत्र (सुनील दत्त) को गोली मार देती हैं, 'दीवार' में अमिताभ बच्चन उसी तरह भाई शशि कपूर की गोली से मारे जाते हैं। 'दीवार' में दो भाइयों और मां (निरुपा रॉय) के रिश्तों का जो त्रिकोण था, सलीम-जावेद ने थोड़ी हेर-फेर कर 'शक्ति' में उसे पिता-पुत्र (दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन) और मां (राखी) के त्रिकोण में बदल दिया।
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वही दो भाइयों और मां का त्रिकोण
'दीवार' का किस्सा कई हिन्दी फिल्मों में दोहराया जा चुका है। दक्षिण के फिल्मकारों को भी यह क्लासिक फिल्म लुभाती रही है। 'बाहुबली' के धमाके से पहले तेलुगु फिल्मकार एस.एस राजामौली ने 'दीवार' से प्रेरित होकर 2005 में 'छत्रपति' बनाई थी। इसमें प्रभास और शफी भाइयों के किरदार में थे, जबकि भानुप्रिया उनकी मां बनी थीं। ये वही भानुप्रिया हैं, जो 'खुदगर्ज', 'तमाचा', 'दोस्ती-दुश्मनी', 'इंसाफ की पुकार' जैसी फिल्मों में बतौर नायिका नजर आई थीं। हिन्दी फिल्मों में उनकी पारी ज्यादा लम्बी नहीं रही।
'नाम' और 'नायकन' का भी प्रभाव
एस.एस राजामौली ने 'दीवार' का किस्सा जस का तस दोहराने के बजाय 'छत्रपति' में कुछ बदलाव भी किए थे। मसलन मनमोहन देसाई की फिल्मों की तरह इसमें दोनों भाई बिछड़ जाते हैं। ये सौतेले भाई हैं और मां के साथ इनका त्रिकोण महेश भट्ट की 'नाम' के भाइयों (संजय दत्त, कुमार गौरव) तथा मां (नूतन) के रिश्तों की याद दिलाता है। कुछ हिस्सों में 'छत्रपति' पर मणि रत्नम की दो तमिल फिल्मों 'नायकन' (कमल हासन) और 'कन्नाथिल मुथामित्तल' (माधवन) का प्रभाव भी था। आमिर खान की 'गजनी' के गजनी यानी प्रदीप रावत यहां भी खलनायक के किरदार में थे।
बॉलीवुड में डेब्यू करेंगे बेलाकोंडा श्रीनिवास
खबर है कि अब 'छत्रपति' के हिन्दी रीमेक की तैयारी है। यानी 'तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा' की तर्ज पर 'दीवार' का किस्सा वाया 'छत्रपति' फिर दोहराया जाएगा। चिरंजीवी को लेकर दो कामयाब तेलुगु फिल्में 'दिल' और 'टैगोर' बना चुके निर्देशक वी.वी. विनायक को इस रीमेक का जिम्मा सौंपा गया है। इसके जरिए तेलुगु के सितारे बेलाकोंडा श्रीनिवास हिन्दी फिल्मों में कदम रखेंगे। अपनी पहली तेलुगु फिल्म 'अलुदु सीनू' (2014) के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड जीतने वाले श्रीनिवास इस भाषा की आधा दर्जन से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके हैं।
नहीं चला था 'जंजीर' का रीमेक
दक्षिण के सितारों को हिन्दी फिल्मों में पारी शुरू करने के लिए अमिताभ बच्चन की पुरानी फिल्मों का रीमेक सुरक्षित रास्ता लगता है। चिरंजीवी के पुत्र राम चरण ने, जो तेलुगु सिनेमा में सितारा हैसियत रखते हैं, सात साल पहले अमिताभ बच्चन की 'जंजीर' के रीमेक से हिन्दी फिल्मों में आजमाइश की थी। इसकी नाकामी के बाद वे फिर किसी हिन्दी फिल्म में नजर नहीं आए।
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