नई दिल्ली: बॉलीवुड की ड्रीमगर्ल हेमा मालिनी (Hema Malini) ने हिन्दी सिनेमा में अपने करियर का आगाज शोमैन राज कपूर के साथ किया था। दोनों 1968 में एक साथ फिल्म ‘सपनों का सौदागर’ में नजर आए थे। ये फिल्म तो नहीं चली, लेकिन हेमा को राज कपूर (Raj Kapoor) का अंदाज काफी पसंद आ गया था। इसलिए हेमा आगे भी उनके साथ काम करना चाहती थीं। ये जानकर राज कपूर ने हेमा मालिनी को ये आश्वासन दिया था कि जब भी उनकी फिल्मों में हेमा के लायक कोई रोल होगा तो वो उन्हें जरूर ऑफर करेंगे।
इसके बाद जब राज कपूर ने फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ बनाने के बारे में सोचा। जिसमें एक्टर और एक्ट्रेस के लिए उनके दिमाग में सबसे पहला नाम हेमा मालिनी और राजेश खन्ना का आया। जब राज साहब ने ये ऑफर हेमा मालिनी को दिया थो, वो खुश हो गईं।
इसके बाद राज कपूर ने हेमा को अगले ही दिन स्क्रीन टेस्ट के लिए आर. के. स्टूडियों में बुलाया और हेमा पहुंच भी गई। जब राज कपूर ने हेमा मालिनी को इस फिल्म के किरदार रूपा की रूपरेखा और वेशभूषा के बारे में बताया तो हेमा दंग रह गई और उनके हाथ-पांव फूल गए।
फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ में रूपा का किरदार अपने समय के हिसाब से काफी बोल्ड और बिंदास था। जिसके करने के लिए हेमा मालिनी राजी नहीं थी, लेकिन वो राज कपूर से सीधे ना भी नहीं कर सकती थीं।
जब राज साहब ने हेमा मालिनी को रूपा के किरदार के कपड़े पहनकर कैमरे के सामने आने को कहा तो, हेमा ड्रेसिंग रूम में तो गई, लेकिन वहां से चुपचाप भाग गई। जब काफी देर होने के बाद भी हेमा बाहर नहीं आई, तो राज कपूर के समझ गए कि हेमा इस किरदार को नहीं करना चाहती है। इसके बाद राज कपूर ने इस किरदार के लिए जीनत अमान को चुना था।
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