भारतीय सिनेमा को नायाब फिल्में देने वाले पहले शोमैन राज कपूर बचपन से ही अभिनेता बनना चाहते थे। पेशावर (अब पाकिस्तान) में 14 दिसंबर, 1924 को जन्मे राज कपूर जब मैट्रिक परीक्षा के एक विषय में फेल हो गए तब पिता पृथ्वीराज कपूर से उन्होंने कहा-मैं पढना नही चाहता,फिल्मों में काम करना चाहता हूं। उनकी बात सुनकर पिता की आंखें खुशी से चमक उठीं। राजकपूर ने अपने सिने कॅरियर की शुरुआत बतौर बाल कलाकार वर्ष 1935 में प्रदर्शित फिल्म 'इंकलाब'से की। वहीं 1947 में रिलीज हुई फिल्म 'नीलकमल' में वे लीड हीरो थे।
पिता ने भेजा केदार शर्मा के पास
हीरो बनाने से पहले पृथ्वीराज कपूर ने बेटे राज को केदार शर्मा की यूनिट में क्लैपर बॉय के रूप में काम करने की सलाह दी। फिल्म की शूटिंग के समय राज अक्सर आईने के पास चले जाते थे और अपने बालो में कंघी करने लगते थे। क्लैप देते समय इस कोशिश में रहते कि किसी तरह उनका भी चेहरा कैमरे के सामने आ जाए।
ऐसे बने हीरो
एकबार फिल्म विषकन्या की शूटिंग के दौरान राज कपूर का चेहरा कैमरे के सामने आ गया और हड़बडाहट में अभिनेता की दाढी क्लैप बोर्ड में उलझकर निकल गई। बताया जाता है केदार शर्मा ने राजकपूर को अपने पास बुलाकर जोर का थप्पड़ लगाया। हालांकि केदार को इसका अफसोस रात भर रहा। अगले दिन उन्होंने अपनी नई फिल्म 'नीलकमल' के लिए राज को साइन कर लिया।
नरगिस के साथ जमी जोड़ी
एक्टर के सिने कॅरियर में उनकी जोड़ी अभिनेत्री नरगिस के साथ काफी पसंद की गई। इन्होंने पहली बार साथ में वर्ष 1948 में आई फिल्म 'बरसात' में काम किया। इसके बाद अंदाज, जान पहचान, आवारा, अनहोनी, आशियाना, अंबर, आह, धुन, पापी, श्री 420, जागते रहो और चोरी चोरी जैसी कई फिल्मों में दोनों कलाकारों की जोड़ी नजर आई। श्री 420 फिल्म में बारिश में एक छाते के नीचे फिल्माये गीत..प्यार हुआ इकरार हुआ में नरगिस और राज कपूर के प्रेम प्रसंग के अविस्मरणीय दृश्य को दर्शक शायद ही कभी भूल पाएं।
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