अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी कुंद्रा (Shilpa Shetty Kundra) और उनके व्यवसायी पति राज कुंद्रा (Raj Kundra)के घर एक नन्ही परी (Baby Girl) आई है। खबर है कि उनकी बेटी का जन्म सरोगेसी के जरिए हुआ है। उन्होंने बेटी का नाम समिशा शेट्टी कुंद्रा (Samisha Shetty Kundra) रखा है। उत्साहित शिल्पा शेट्टी ने बताया कि समिशा का जन्म 15 फरवरी को हुआ। उन्होंने अपनी नन्ही बेटी को 'जूनियर एसएसके' का टैग दिया।
क्या होती है सरोगेसी (What is Surrogacy)
अभिनेता आमिर खान, एकता कपूर, तुषार कपूर, करण जौहर, सोहेल खान, सीमा खान, लीजा रे, शाहरुख खान और उनकी पत्नी गौरी खान और भी बहुत सी हस्तियों ने सरोगेसी यानी किराए की कोख के जरिए संतान सुख लिया है। इससे अक्सर लोगों में यह जिज्ञासा पैदा होती है कि आखिर सरोगेसी क्या है और इससे बच्चे कैसे होते हैं। चलिए जाते हैं।
1. सरोगेसी आमतौर पर उन जोड़ों के लिए होती है जो नि:संतान हैं। यह एक ऐसा चिकित्सा विकल्प है, जिसके जरिए संतान सुख पाया जा सकता है। आमतौर पर सरोगेसी तब कराई जाती है जब किसी महिला को गर्भधारण में किसी तरह की परेशानी हो रही हो, गर्भाशय संक्रमण हो या फिर किसी अन्य कारण से वह गर्भ धारण करने में सक्षम न हो।
कितनी तरह की होती है सरोगेसी (Types Of Surrogacy)
सरोगेसी दो तरह की होती है। पहली ट्रेडिशनल यानी पारंपरिक सरोगेसी और दूसरी जेस्टेशनल सरोगेसी।
ट्रेडिशनल यानी पारंपरिक सरोगेसी: ट्रेडिशनल सरोगेसी करने का तरीका बहुत ही सामान्य है। इसमें पुरुष के शुक्राणुओं को किसी अन्य महिला जो कि सेरोगेसी के लिए तैयार हों के अंडाणुओं के साथ निषेचित किया जाता है। इसे निषेचित करने के बाद उस दूसरी महिला के गर्भ में स्थापित कर दिया जाता है।
जेस्टेशनल सरोगेसी: सरोगेसी के इस तरीके में भी गर्भ किसी दूसरी महिला का ही होता है। लेकिन जैसा की पहले प्रकार में, यानी की ट्रेडिशनल सरोगेसी में होता है कि सिर्फ पुरुष के शुक्राणु का इस्तेमाल होता है। इस प्रकार में पुरुष और स्त्री या पति-पत्नी के अंडाणु व शुक्राणुओं का मेल परखनली विधि से करवा कर दूसरी महिला के की बच्चेदानी में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।
क्या है दोनों में फर्क: ट्रेडिशनल सेरोगेसी में बच्चा जैनेटिक रूप से केवल पिता से संबंधित होता है। लेकिन जेस्टेशनल सरोगेसी में बच्चे का जैनेटिक संबंध माता-पिता दोनों से होता है।
कितना आता है सरोगेसी प्रक्रिया में खर्च
सरोगेसी एक बहुत महंगी प्रक्रिया है। उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां 70 से ज्यादा महिलाएं हर साल अपनी कोख बेचती हैं। हर महीने 6 से आठ सरोगेट मदर बच्चे को दे रही है। सबसे खास बात ये है कि 90 प्रतिशत मामलों में सरोगेट मदर को कोख का किराया दिया जाता है। सरोगेसी प्रक्रिया में खर्च 15-20 लाख रूपए आसानी से लग जाते हैं। हालांकि, यह पूरी तरह निश्चित नहीं है कि टोटल खर्च कितना आता है। यह तो महज सर्चिंग आंकड़े हैं।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/2HOwzx3
No comments: