-दिनेश ठाकुर
भारतीय पॉप गायक लकी अली ( Lucky Ali ) का नया वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। गोवा के एक गांव में फिल्माए गए इस वीडियो में खोई-खोई आंखों और खानाबदोश फितरत वाले लकी अली गिटार बजाते हुए 'ओ सनम' ( O Sanam Song ) गा रहे हैं। नई पीढ़ी इसे उनका नया गाना मानकर फटाफट दोस्तों को 'फॉरवर्ड' कर रही है, जबकि यह लकी अली का 24 साल पुराना गाना है, जो उन्होंने अपने पहले एलबम 'सुनो' में गाया था। पिछले महीने वायरल हुए अपने एक ब्लैक एंड व्हाइट वीडियो में भी वे यही गाना गा रहे थे। पहले प्रेम की तरह अपनी पहली रचना हमेशा इंसान के दिल के करीब रहती है। इस लिहाज से लकी अली को अपने पहले गाने 'वॉकिंग ऑल अलोन' पर ज्यादा फिदा होना चाहिए, जो उन्होंने अपने पिता हास्य अभिनेता महमूद ( Mehmood ) की फिल्म 'एक बाप छह बेटे' (1978) के लिए गाया था। इसमें महमूद के नौ बच्चों में से छह ने एक्टिंग की थी। इनमें लकी अली शामिल थे। जाने क्या बात है, लकी अली अपने फिल्मी गानों के मुकाबले गैर-फिल्मी पॉप गाने ज्यादा गुनगुनाते हैं।
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'कहो ना प्यार है' में गाए दो हिट गाने
संगीतकार राजेश रोशन को पहला मौका महमूद ने अपनी फिल्म 'कुवांरा बाप' में दिया था। महमूद की 'एक बाप छह बेटे','जिन्नी और जानी' के संगीतकार भी वही थे। शायद इसीलिए दूसरे संगीतकारों के मुकाबले राजेश रोशन ने लकी अली की आवाज का फिल्मों में ज्यादा इस्तेमाल किया। उन्होंने 'कहो ना प्यार है' में लकी से दो गाने 'इक पल का जीना' और 'क्यों चलती है पवन' गवाए। ए.आर. रहमान, विशाल भारद्वाज, एम.एम. किरवानी आदि के लिए भी लकी अली गा चुके हैं। 'सुर- द मेलॉडी ऑफ लाइफ' में उनका 'आ भी जा' काफी लोकप्रिय हुआ था। वे इस फिल्म के नायक भी थे।
यूं छूटी नशे की लत
कभी लकी अली की नशे की लत से महमूद काफी चिंतित थे। चिंता के उस दौर में उन्हें 'दुश्मन दुनिया का' बनाने का विचार आया। इसमें लकी नाम के नौजवान का किस्सा है, जो नशे का आदी है। नशे में वह अपनी मां की हत्या कर देता है और आखिर में अपने पिता के हाथों मारा जाता है। महमूद चाहते थे कि इसमें नौजवान का किरदार लकी अली अदा करें, लेकिन उनके इनकार के बाद उनके भाई मंजूर अली को लेकर यह फिल्म बनी। इसमें शाहरुख खान और सलमान खान के भी छोटे-छोटे किरदार थे। 'दुश्मन दुनिया का' तो नहीं चली, महमूद की तरकीब चल गई। लकी अली की नशे की आदत धीरे-धीरे छूट गई। इस फिल्म में उन्होंने एक गाना 'नशा नशा' गाया था।
फिल्मी आडम्बरों से दूर
फिल्मी घराने से ताल्लुक रखने के बावजूद लकी अली फिल्मी आडम्बरों से दूर रहते हैं। जिस मायानगरी में हर कोई प्रचार के मौके (या बहाने) ढूंढता रहता है, लकी अली तड़क-भड़क से अलग सुरों में सुकून ढूंढते हैं। अपने रास्ते बनाने के लिए उन्होंने पिता के नाम को जरिया नहीं बनाया। छटपटाहट और बेचैनी उनकी असली रहबर है, जो सुर-सरगम के नए रास्ते सुझाती है। नब्बे के दशक में, जब संगीत के बाजार में पॉप का तूफान छाया हुआ था, लकी अली ने बहती गंगा में तबीयत से हाथ धोने के बजाय गिने-चुने एलबम (सुनो, सिफर, अक्स, कभी ऐसा लगता है) पेश किए। वे जानते हैं कि कला में गिनती नहीं, गुणवत्ता ज्यादा महत्त्व रखती है।
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