तब हम दोनों वक़्त चुरा कर लाते थे, अब मिलते हैं जब भी फ़ुर्सत होती है- पढ़िए जावेद अख्तर की कुछ बेहतरीन शायरी
नई दिल्ली: फिल्म इंडस्ट्री के पॉपुलर राइटर, स्क्रीनराइटर और गीतकार जावेद अख्तर (Javed Akhtar) आज अपना 76वां जन्मदिन मना रहे हैं। अपने शब्दों से गानों और कहानियों को बेहतर बनाने वाले जावेद अख्तर का जन्म मध्य प्रदेश में हुआ था। उनके पिता निसार अख्तर भी एक मशहूर लेखक थे। वहीं, उनकी मां साफिया अख्तर एक उर्दू अध्यापिका थीं। जावेद अख्तर ने अपने करियर में सीता गीता, जंजीर, शोले और तेजाब जैसी कई सुपरहिट फिल्मों के लिए डायलॉग और कहानी लिखी है। इसके लिए उन्हें साहित्य अकादमी, पद्मश्री, पद्म भूषण जैसे अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
जावेद अख्तर के जन्मदिन पर पढ़ते हैं उनके कुछ बेहतरीन शेर-
1. कभी जो ख्वाब था वो पा लिया है
मगर जो खो गई वो चीज क्या थी।
2. छोड़ कर जिस को गए थे आप कोई और था
अब मैं कोई और हूँ वापस तो आ कर देखिए।
3. मैं पा सका न कभी इस ख़लिश से छुटकारा
वो मुझ से जीत भी सकता था जाने क्यूं हारा।
4. ज़रा सी बात जो फैली तो दास्तान बनी
वो बात ख़त्म हुई दास्तान बाक़ी है।
5. अक़्ल ये कहती दुनिया मिलती है बाज़ार में
दिल मगर ये कहता है कुछ और बेहतर देखिए।
6. बंध गई थी दिल में कुछ उम्मीद सी
ख़ैर तुम ने जो किया अच्छा किया।
7. ये खामोशी जो गुफ्तगू के बीच ठहरी है
ये ही सारी बात सारी गुफ्तगू में सब से गहरी है।
8. ऊंची इमारतों से मकान मेरा घिर गया
कुछ लोग मेरे हिस्से का सूरज भी खा गए।
9. इस शहर में जीने के अंदाज निराले हैं
होठों पे लतीफें हैं आवाज में चालें हैं।
10. क्यूं डरें जिंदगी में क्या होगा
कुछ न होगा तो तजुर्बा होगा।
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