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'जनमोहन' फिल्मकार थे Manmohan Desai, 1977 में बनाया 4 कामयाब फिल्मों का रेकॉर्ड

- दिनेश ठाकुर

भारत में 1977 में दो बड़े चमत्कार हुए। एक यह कि 30 साल से सत्ता-सुख भोग रही कांग्रेस को आम चुनावों में करारी शिकस्त मिली। केंद्र में पहली बार गैर-कांग्रेसी (जनता पार्टी) सरकार बनी। दूसरा यह कि उस साल एक के बाद एक मनमोहन देसाई ( Manmohan Desai ) की चार फिल्में 'अमर अकबर एंथॉनी', 'धरम वीर', 'परवरिश' और 'चाचा-भतीजा' सिनेमाघरों में पहुंचीं। चारों ने बॉक्स ऑफिस की छतें उड़ा दीं। उस साल टॉप 5 की कारोबारी लिस्ट में चारों फिल्में शामिल थीं। हिन्दी सिनेमा के इतिहास में ऐसा चमत्कार न पहले हुआ, न बाद में कि देशभर के सिनेमाघरों में सालभर किसी एक फिल्मकार की चार फिल्में धूम मचाती रहें।

मनमोहन देसाई हैं, तो मुमकिन है
एक टिकट में कई तरह के तमाशे दिखाने वाली मनमोहन देसाई की मसाला फिल्में तर्कों की धज्जियां उड़ाती थीं। आलोचक इन फिल्मों की धज्जियां उड़ाते थे। जनता इन्हीं फिल्मों को पलकों पर उठाती थी। जाने मनमोहन देसाई के पास कौन-सा बैरोमीटर था, जो उन्हें आम जनता की पसंद का पता देता था। यह जुमला उनकी फिल्मों की धूम वाले दौर में शुरू हुआ कि मनमोहन देसाई हैं, तो कुछ भी मुमकिन है। उड़ान भरने से पहले रन-वे पर दौड़ रहे विमान को दारा सिंह रस्सी से खींचकर रोक सकते हैं (मर्द)। एक ऐसी गोली भी होती है, जिसे खाकर आदमी सच बोलने लगता है (सच्चा-झूठा)। भजन गाने से नायकों की नेत्रहीन मां को आंखों की रोशनी मिल सकती है (अमर अकबर एंथॉनी)। तीन बेटे अस्पताल में अलग-अलग पलंग पर लेटकर एक साथ अपनी बेहोश मां के लिए रक्तदान कर सकते हैं (फिर 'अमर अकबर एंथॉनी')। यह सीन देखकर कई डॉक्टरों की आंखें खुली की खुली रह गई थीं।

राज कपूर को हैरान करती थी देसाई की कामयाबी
मनमोहन देसाई की फिल्मों की कामयाबी शोमैन राज कपूर को हैरान करती थी। फिल्म इंडस्ट्री इन कमाऊ फिल्मों पर 'वारी जाऊं' की मुद्रा में रहती थी। देसाई जो चाहते थे, होता था। उनकी 'नसीब' के एक गाने (जॉन जानी जनार्दन) में विशेष झलक के तौर पर राज कपूर, शम्मी कपूर, राजेश खन्ना, धर्मेंद्र, वहीदा रहमान, शर्मिला टैगोर, माला सिन्हा आदि ने हाजिरी लगाई। राजेश खन्ना को मलाल रहा कि उनके साथ दो कामयाब फिल्में (सच्चा-झूठा, रोटी) बनाने के बाद मनमोहन देसाई उन्हें भूलकर पूरी तरह अमिताभ बच्चन के प्रति समर्पित हो गए। जब संजय दत्त, सनी देओल, अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ उभर रहे थे, देसाई ने सिर्फ अमिताभ के साथ कामयाब फिल्में बनाईं।

'छलिया' से 'मर्द' तक हिट परेड
मनमोहन देसाई को फिल्म-कला विरासत में मिली। उनके पिता कीकूभाई देसाई फिल्म निर्माता थे। स्टंट फिल्में बनाते थे।बतौर निर्देशक मनमोहन देसाई ने 1960 में राज कपूर, नूतन, प्राण और रहमान को लेकर 'छलिया' बनाई। इसमें कल्याणजी-आनंदजी की धुनों वाले 'डम-डम डीगा-डीगा' और 'तेरी राहों में खड़े हैं दिल थाम के' जैसे गीत आज भी लोकप्रिय हैं। 'छलिया' के बाद वह फिल्म-दर-फिल्म कामयाबी का इतिहास रचते गए। उनकी कई फिल्मों ने सिल्वर और गोल्डन जुबली मनाई। इनमें 'किस्मत' (विश्वजीत, बबीता), सच्चा झूठा (राजेश खन्ना, मुमताज), रामपुर का लक्ष्मण (रेखा, रणधीर कपूर), भाई हो तो ऐसा (जीतेंद्र, हेमा मालिनी, शत्रुघ्न सिन्हा), आ गले लग जा (शशि कपूर, शर्मिला टैगोर), धरम वीर (धर्मेंद्र, जीतेंद्र, जीनत अमान, नीतू सिंह) 'चाचा भतीजा' (धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, रणधीर कपूर), अमर अकबर एंथॉनी (अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना, ऋषि कपूर, शबाना आजमी, परवान बॉबी, नीतू सिंह), परवरिश (अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना, शबाना आजमी, नीतू सिंह), सुहाग (अमिताभ बच्चन, शशि कपूर, रेखा, परवीन बॉबी), नसीब (अमिताभ बच्चन, ऋषि कपूर, हेमा मालिनी), देशप्रेमी (अमिताभ बच्चन, शर्मिला टैगोर, हेमा मालिनी), कुली (अमिताभ बच्चन, ऋषि कपूर, रति अग्निहोत्री), मर्द (अमिताभ बच्चन, अमृता सिंह) शामिल हैं। 'अमर अकबर एंथॉनी' के संगीत (लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल) के नाम अनूठा रेकॉर्ड दर्ज है। इसका एक गीत 'हमको तुमसे हो गया है प्यार' लता मंगेशकर, मोहम्मद रफी, किशोर कुमार और मुकेश ने गाया। यह चारों आवाजें किसी और गीत में एक साथ नहीं आईं।

सितारों की भीड़, लोकप्रिय गीत-संगीत, कॉमेडी का तड़का
लगातार हिट फिल्मों को लेकर मनमोहन देसाई को किसी दौर में 'जनमोहन देसाई' कहा जाता था। 'बिछुड़े और मिले' फार्मूले का जितना दोहन उन्होंने किया, किसी और फिल्मकार ने नहीं किया। उनकी फिल्मों का अलग हिसाब-किताब था। बड़े सितारों की भीड़, लोकप्रिय गीत-संगीत, कॉमेडी का भरपूर तड़का और वो तमाम मसाले कि आम दर्शक सीट से उछल-उछल पड़े। उनका हिसाब-किताब 'गंगा जमुना सरस्वती' (1988) में गड़बड़ा गया। तमाम आजमाए हुए फार्मूलों के बावजूद यह फिल्म घाटे का सौदा रही। इसके बाद मनमोहन देसाई ने किसी फिल्म का निर्देशन नहीं किया।

मायूसियों में गुजरे आखिरी दिन
अपनी पत्नी जीवनप्रभा के 1979 में देहांत के कई साल बाद मनमोहन देसाई ने अभिनेत्री नंदा से सगाई की थी, लेकिन शादी नहीं हो सकी। उनके आखिरी दिन मायूसियों में गुजरे। मुंबई में 1 मार्च, 1994 को बालकनी से गिरने से उनके जीवन का सफर थम गया। यह अब तक पहेली है कि यह आत्महत्या थी या हादसा।



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'जनमोहन' फिल्मकार थे Manmohan Desai, 1977 में बनाया 4 कामयाब फिल्मों का रेकॉर्ड 'जनमोहन' फिल्मकार थे Manmohan Desai, 1977 में बनाया 4 कामयाब फिल्मों का रेकॉर्ड Reviewed by N on March 01, 2021 Rating: 5

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