दिवगंत अभिनेत्री श्रीदेवी की कला के दीवाने आज भी गली नुक्कड़ों मिल जाते हैं। बॉलीवुड की मिस हवा हवाई कहीं जाने श्री देवी ने अपने अभिनय की शुरूआत दक्षिण भारतीय सिनेमा से की। जिससे उन्हें लाइमलाइट में जगह तो नहीं मिली लेकिन उनका अभिनय निखर कर सामने आया।
हिंदी सिनेमा में श्रीदेवी 1978 में सोलहवां सावन से शुरूआत की। लेकिन फिल्म सफल नहीं रही। इस के बाद उन्हें 1983 में फिल्म हिम्मतवाला के लिए चुना गया। जिसके बाद से हर कोई इन्हें अपनी फिल्म बतौर फीमेल लीड लेना चाहता था। श्रीदेवी को हिंदी सिनेमा की पहली महिला सुपरस्टार कहा जाता है।
श्रीदेवी ने नागिन, निगाहें, चांदनी, मिस्टर इंडिया, चालबाज, लम्हें, खुदा गवाह, जैसी फिल्मों से उस दौर में अपनी धाक जमा ली थी। उन्होनें अपने करियर में 60 हिंदी फिल्मों में काम किया। तेलगू और तमिल में भी उन्होनें इतनी ही फिल्में की।
श्रीदेवी ने अपने फिल्मी करियर में ही बहुत ही लोकप्रियता हासिल कर ली थी। उनकी जबरदस्त एक्टिंग से लोग उनके दीवाने थे। बता दें कि श्रीदेवी के जितने दीवाने भारत में थे। उतने ही दीवाने पाकिस्तान में भी थे। लेकिन उन दिनों पाकिस्तान की में भारतीय फिल्मों पर प्रतिबंध था।
पाकिस्तान में लोग श्रीदेवी की फिल्में छुप छुप कर देखते थे| ऐसा इसलिए था क्योंकि उस समय पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक का शासन था, जहां भारतीय फिल्में देखना पाप जैसा था। इसकी पुष्टि बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट करती है।
रिपोर्ट के अनुसार उस समय पाकिस्तान में श्रीदेवी के बहुत फैन थे। पाकिस्तान में उस समय भारतीय फिल्में देखना गैरकानूनी था ऐसा करने पर 3 महीने की सजा दी जाती थी। सरकार द्वारा सजा मिलने के बावजूद लड़के नहीं मानते थे। वह गुपचुप तरीके से फिल्में देखा करते थे। उन दिनों किराए पर वीसीआर मिला करते थे जिसमें 6 फिल्में हुआ करती थी। उन फिल्मों में से तीन फिल्में सिर्फ श्रीदेवी की होती थी।
पाकिस्तान में उस समय वह दौर था जब बॉलीवुड अभिनेत्री श्रीदेवी की नगीना, चांदनी, आखिरी रास्ता, मिस्टर इंडिया जैसी बड़ी फिल्में रिलीज हुई थी। सुनने में यह भी आता है कि युवा लड़के श्रीदेवी के गानों पर नाच नाच कर उऩकी फिल्मों पर लगे प्रतिबंध का विरोध करते थे.
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