नई दिल्ली। पचास के दशक की फिल्में दीदी और जमाना से फिरोज खान ने अपने करियर की शुरूआत की थी। सन् 1962 में उनकी पहली फिल्म रिपोर्टर राजू में एक पत्रकार के रोल में हीरो बनने का चांस मिला था। वैसे उन्होंने एक्टिंग की कोई ट्रेनिंग नहीं ली थी फिर भी कैमरा फेस करना और दर्शकों को लुभाने की कला में वे माहिर रहे।
फिरोज खान लेडी किलर खान के नाम से भी जाने जाते थे। कुर्बानी फिल्म में उनका और जीनत अमान का बिंदासपन दर्शकों को बेहद आकर्षित कर गया था। अपने खाने-पीने, मौज-मस्ती करने की आदतों के चलते उन्होंने कई अच्छी फिल्मों के ऑफर ठुकरा दिए। जैसे राजकपूर की फिल्म ‘संगम’ में राजेन्द्र कुमार और ‘आदमी’ फिल्म में मनोज कुमार का रोल उनके हाथ से फिसल गया जिसका अफसोस उन्हें लंबे समय तक बना रहा।
फिरोज खान बेशक भारतीय थे लेकिन उनका लाइफ स्टाइल बिल्कुल हॉलीवुड जैसा था। फिरोज खान हॉलीवुड अभिनेता क्लींट ईस्टवुड से बहुत प्रभावित थे और क्लींट ईस्टवुड का लुक एक काउबॉय जैसा था जिसके बाद से फिरोज खान भी खुद को बॉलीवुड का ईस्टवुड समझने लगे थे। उनके सर काउबॉय का भूत इस कदर चढ़ा हुआ था कि सत्तर के दशक में आने वाली उनकी सभी फिल्मों में उनका एक जैसा काउबॉय स्टाइल ही फिल्मों में देखने को मिला। काला सोना, अपराध, खोटे सिक्के अगर आप इन फिल्मों को देखें तो आपको फिरोज खान अपने लुक काउबॉय में ही दिखाई देगें।
फिरोज खान उस वक्त के सबसे हैंडसम मैन हुआ करते थे। रफ एंड टफ चेहरा, लंबा कद, सिर पर बड़ा-सा टोपा, हाथ में सिगार, कंधे पर बंदूक, हाथ में पिस्तौल, कमर में बँधा बुलेट बेल्ट, लांग लेदर शू और जम्प कर घोड़े पर बैठने का उनका अपना ही अलग स्टाइल था। अपने इस स्टाइल की वजह से वो लड़कियों के बीच भी बहुत फेमस थे।
फिरोज खान की अलग एक्टिंग और दमदार स्टाइल की वजह से फिरोज खान उस समय के कई अभिनेताओं की आँखों में खटकने लगे थे। मोस्ट हैंडसम हंक की वजह से रामानंद सागर की फिल्म आरजू के असली हीरो राजेन्द्र कुमार थे, लेकिन हीरो की सारी लाइम लाइट फिरोज खान ले गए जोकि इस फिल्म में छोटा सा किरदार कर रहे थे। अपनी खूबसूरती की वजह से फिरोज खान ने असित सेन की फिल्म सफर राजेश खन्ना जैसे सुपरस्टार की मौजूदगी को लुप्त कर दिया था।
फिरोज खान लंबे समय से बीमार थे और शायद अपने घोड़ों से मिलने की जिद ने उन्हें ये बल दिया कि वे बीमारी से लड़ते रहे। बेंगलुरु में फिरोज का विशाल फॉर्म हाउस है डॉक्टर्स ने शुक्रवार उन्हें बेंगलुरु ले जाने की इजाजत दी और 27अप्रैल को अपने फॉर्म हाउस में उन्होंने अंतिम साँस ली।
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