बॉलीवुड अभिनेता पंकज त्रिपाठी की फिल्म कागज एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है। जो अपने हक के लिए काफी संघर्ष करते नजर आएंगे। दरअसल, उनके किरदार को कई साल पहले कागजों में मृत बता दिया गया है। ऐसे में उन्हें अपने जिंदा होने का सबूत देना काफी मुश्किल पड़ता है।
जानकारी के अनुसार कागज पर लिखी हुई चार लाइन और सरकारी मोहर पत्थर की लकीर से भी अधिक महत्व रखती है। ऐसे ही हाल उत्तर प्रदेश के निवासी भरत लाल यानी पंकज त्रिपाठी के नजर आते हैं। इस फिल्म में वे खुद का बैंड चलाते हैं और उसकी धुन सभी का दिल बहलाती है। वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए कर्जा लेना चाहते हैं। ऐसे में वे जब अपने हक की जमीन के लिए लेखापाल के पास जाते हैं, तो उन्हें जमीन मिलना तो दूर की बात अपनी जिंदगी का ऐसा सच पता चलता है जिससे वे हैरान रह जाते हैं। दरअसल, भरत लाल कानूनी कागजों में कई साल पहले ही मृत बता दिए जाते हैं। लेकिन वास्तव में वह जिंदा है। क्योंकि रिकॉर्ड में मर गए हैं। इस कारण एक कागज ने उनके जीवन में ऐसी दुविधा पैदा कर दी कि वे जिंदा होते हुए भी अपने जीवित होने का सबूत देने के लिए काफी परेशान होते हैं। इस लड़ाई में साधु राम यानी (सतीश कौशिक) नाम का वकील भरत लाल के साथ उनकी लड़ाई लड़ता नजर आएगा। अब फिल्म में ही पता चलेगा कि वह कागज पर लिखी इन लकीर को मिटा पाएंगे या नहीं। सतीश कोशिक के निर्देशन में बनी यह फिल्म कागज सत्य घटनाओं पर आधारित है। यह कहानी एक लाल बिहारी नामक व्यक्ति की है। जिन्होंने अपनी जिंदगी के 19 साल सिर्फ यह साबित करने में निकाल दिए कि वे जिंदा है।
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